साँझ

जब कुछ ख़त्म होने को हो तो उसका होना मालूम होता है.

जब कुछ ख़त्म होने को हो.....

जब कुछ ख़त्म होने को हो तो उसका होना मालूम होता है..... वक़्त अपनी रफ़्तार से चलता है और दिल है की कहीं ठहर जाने को कहता है ......
साँझ.......एक ऐसा एहसास की सांसो को मद्धम कर दिल की धडकनों को अपनी स्याह आसमा में धीरे धीरे घुला ले.....मानो फिलवक्त सब कुछ रूक गया हो..........अब ये वाजिब लगे या गैरवाजिब इस नशे में घुल जाना दिल की फितरत है...............अलसाये हुए इक दिन की ये साँझ अपने साथ सब कुछ समेट के लिए जाती है.............और तब मालूम होता है उसका होना.

5 comments:

ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है

 

सांझ दिन क तिलमिलाती धुप को अपने आहोश में ले लेती है .... ठीक उसी प्रकार आपकी यह अन्मूल रचना हमारे मन को अपने आहोश में ले कर हमे कुछ सुकून भरी यादें दे गई है ....!!!! ऐसे ही हमे अपने रचनाओं से सुकून पहुचाते रहें ........!!! क्या बात, क्या बात, क्या बात !!!!!!!

 

जब कुछ ख़त्म होने को हो तो उसका होना मालूम होता है..... वक़्त अपनी रफ़्तार से चलता है और दिल है की कहीं ठहर जाने को कहता है ......

दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है
मिल जाये तो मिटटी है खो जाये तो सोना है .....

 

गुजर जाओ बच कर हर एक याद से . कोई शाम यूं भी गुजारा करो ! बहुत खूब आपका ब्लॉग पढ़ा अच्छा लगा शुक्रिया

 

aaz se paanch saal baad.....bahot sunder.

 
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