साँझ

जब कुछ ख़त्म होने को हो तो उसका होना मालूम होता है.

याद



बूंदे गिरी पते फड़ फाड़ने लगे
चारो तरफ काली घटा छाई
मिट्टी से सोंधी खुशबू उठी
रुकी हुई बरसात लौट आई

तन के साथ साथ मन भी गिला हुआ
जब जब तुम्हारी याद आई

3 comments:

jitne sundar chitra ..utni hi man bhawan panktiyaan !

 

तन के साथ साथ मन भी गिला हुआ
जब जब तुम्हारी याद आई
लाजवाब पंक्तियाँ...बेजोड़ अभिव्यक्ति...वाह...
नीरज

 

तन के साथ साथ मन भी गिला हुआ
जब जब तुम्हारी याद आई
...इन पंक्तियों के साथ चित्र बेहद अच्छा लग रहा है. वाह!

 
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