पता नही कब से मेरी नीद खुली थी... बिस्तर पर लेटा - लेटा ऊपर धीरे धीरे घूमते पंखो को देख रहा था। इन अध्जगी आखों में रात के खाब अबभी अपने अक्स छोड जा रहे थे।
मै एक सधारण परिवार से आता हूँ. पांच वर्षों से पत्रकारिता सीख और कर रहा हूँ...बहूत कुछ कहना और सुनना चाहता हूँ... रांची से स्कूलिंग फिर कोलकाता से मॉस कम्युनिकेशन मे स्नातक और कोलकाता फिल्म और टेलिविज़न इंस्टिट्यूट से डिप्लोमा के बाद फिलहाल एक निजी चैनल से जुडा हुआ हूँ.
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